मध्य प्रदेश की मिट्टी:-
मध्यप्रदेश में पायीं जाने वाली मिटटी :-
1 जलोद मिटटी :- मध्य प्रदेश सर्वाधिक उपजाऊ मिट्टी है !वह मृदा या अवसाद है जो बहते हुए जल द्वारा बहाकर लाया तथा कहीं अन्यत्र जमा किया गया हो। यह भुरभुरा (loose) होता है अर्थात् इसके कण आपस में सख्ती से बंधकर कोई ‘ठोस’ शैल नहीं बनाते।
मध्यप्रदेश में पायीं जाने वाली मिटटी :-
1 जलोद मिटटी :- मध्य प्रदेश सर्वाधिक उपजाऊ मिट्टी है !वह मृदा या अवसाद है जो बहते हुए जल द्वारा बहाकर लाया तथा कहीं अन्यत्र जमा किया गया हो। यह भुरभुरा (loose) होता है अर्थात् इसके कण आपस में सख्ती से बंधकर कोई ‘ठोस’ शैल नहीं बनाते।
जलोढ़ मिट्टी प्रायः विभिन्न प्रकार के पदार्थों से मिलकर बनी होती है जिसमें गाद (सिल्ट) तथामृत्तिका के महीन कण तथा बालू तथा बजरी के अपेक्षाकृत बड़े कण भी होते हैं।
जिसका निर्माण नदियों द्वारा बहाकर लाई गई कछारो से होता है !
यह मिट्टी मध्यप्रदेश के तीन प्रतिशत भाग में पाई जाती है!
इसमें मिट्टी की प्रकृति उदासीन होती है
इस मिट्टी में गेहूं ,गन्ना, सरसों आदि फसलों के लिए उपयुक्त होती है
यह मिट्टी मुरैना, ग्वालियर, एवं शिवपुरी क्षेत्र में पाई जाती है !
यह मिट्टी मध्यप्रदेश के तीन प्रतिशत भाग में पाई जाती है!
इसमें मिट्टी की प्रकृति उदासीन होती है
इस मिट्टी में गेहूं ,गन्ना, सरसों आदि फसलों के लिए उपयुक्त होती है
यह मिट्टी मुरैना, ग्वालियर, एवं शिवपुरी क्षेत्र में पाई जाती है !
मध्यप्रदेश मे जलोढ मिट्टी मुख्य रूप से तीन प्रकार की पायी जाती है!
1. बांगर मिट्टी
2.पुरानी जलोढ़ मिट्टी
3.भावर जलोढ़ मिट्टी
1. बांगर मिट्टी
2.पुरानी जलोढ़ मिट्टी
3.भावर जलोढ़ मिट्टी
2 काली मिट्टी :- इसका PH मान 7.5 से 8.5 होता है ! अर्थातक्षारिय प्रकृति की होती है ! यह कपास के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होती है! साथ ही गेंहू एवं सोयाबीन का उत्पादन होता है ! इसका निर्माण ज्वालामुखी के निकलने वाले लावों के जमने से होता है लोहा चुना की प्रचुरता तथा फास्फेट जैव पदार्थों नाइट्रोजन की कमी होती है !
इसको भी तीन भागों में बांटते हैं !
गहरी काली मिट्टी:- (3.5%) नर्मदा .सोन . मालवा सतपुड़ा क्षेत्र में पाई जाती है !
साधारण काली मिट्टी( 33% मालवा पठार के क्षेत्र मे पयी जाति है !
छिछ्ली काली मिट्टी(7%) सतपुड़ा ,मैकल ,बेतूल छिंदवाड़ा सिवनी क्षेत्र में पाई जाती है !
गहरी काली मिट्टी:- (3.5%) नर्मदा .सोन . मालवा सतपुड़ा क्षेत्र में पाई जाती है !
साधारण काली मिट्टी( 33% मालवा पठार के क्षेत्र मे पयी जाति है !
छिछ्ली काली मिट्टी(7%) सतपुड़ा ,मैकल ,बेतूल छिंदवाड़ा सिवनी क्षेत्र में पाई जाती है !
काली मिट्टी को रेगुर मिट्टी भी कहा जाता है !
मध्य प्रदेश के सर्वाधिक भाग पर काली मिट्टी पाई जाती है !
मध्य प्रदेश के सर्वाधिक भाग पर काली मिट्टी पाई जाती है !
3 लाल पिली मिट्टी :- लाल, पीली एवं चाकलेटी रंग की होती है। शुष्क और तर जलवायु में प्राचीन रवेदार और परिवर्तित चट्टानों की टूट-फूट से बनती है। इस मिट्टी में लोहा, ऐल्युमिनियम और चूनाअधिक होता है। यह मिट्टी अत्यन्त रन्ध्रयुक्त होती है।
लाल पीली मिट्टी गोंडवाना शैल समूह से निर्मित है!
मध्यप्रदेश के संपूर्ण पूर्व विभाग में अर्थात बघेलखंड में पाई जाती है !
लाल रंग लोहे के ऑक्सीकरण के कारण होता है !
इस प्रकार कि भूमि एवं नाइट्रोजन की कमी होती है !
इस मिट्टी कि प्रमुख फसल धान है!
लाल पीली मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 8.5 होता है !
यह प्रदेश के 33% भाग में पाई जाती है
मध्यप्रदेश के संपूर्ण पूर्व विभाग में अर्थात बघेलखंड में पाई जाती है !
लाल रंग लोहे के ऑक्सीकरण के कारण होता है !
इस प्रकार कि भूमि एवं नाइट्रोजन की कमी होती है !
इस मिट्टी कि प्रमुख फसल धान है!
लाल पीली मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 8.5 होता है !
यह प्रदेश के 33% भाग में पाई जाती है
4 लेटराइट मिट्टी :- मध्यप्रदेश मैं मुख्यत द. पूर्वी भाग में महादेव - मैकाल श्रेणी मैं यह मिट्टी पायी जाती हैं ! यह मिटटी अम्लीय प्रकृति की होती है ! इसमें मोटे अनाज के साथ चावल का उत्पादन भी किया जाता हैं ! इस मिटटी में लोहा व् एल्युमीनियम की अधिकता होती है तथा इंट निर्माण में भी यह मिट्टी उपयोगी हैं !
5 मिश्रित मिटटी :- मध्यप्रदेश मैं मुख्यत बुंदेलखंड के पठार पर लाल-पिली और काली मिट्टी मिश्रित रूप मैं पायी जाती हैं ! इस मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती हैं ! मालवा और रीवा पन्ना के पठारी क्षेत्र के मध्य मिश्रित मिट्टी पायी जाती है इसमें सोडियम (Na) तथा फॉस्फोरस (Ph) की कमी रहती है ! इस मिति में ज्वार बाजरा तथा मोटे अनाज का उत्पादन किया जाता हैं
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