सहकारिता:- सहकारिता शब्द सह + कारिता से बना हुआ है । इस शब्द में सह का अर्थ साथ साथ कार्य करना जबकि कारिता का अर्थ होता है कार्य करना । अर्थात हम यह कह सकते है कि सहकारिता एक ऐसा संगठन है जिसमें समानता को आधार बनाकर , पारस्परिक हितो को ध्यान में रखकर एक साथ मिल जुलकर कार्य किया जाता है। यह " एक सब के लिए और सब एक के लिए " की अवधारणा पर कार्य करता है । सहकारिता आत्मसहायता, स्वउतरदायित्व , लोकतंत्र , समानता , समता और एक जुटता के मूल्यों पर आधारित है
एच. डेलबर्ट के अनुसार सहकारिता एक ऐसा संगठन है जिसमें व्यक्ति स्वेच्छा पूर्ण ढंग से समानता के आधार पर अपने आर्थिक हितों को पूरा करने के लिए संगठित होता है
* सहकारी संगठनों की विशेषताएं:- सहकारिता एक ऐसा संगठन है जिसमें मनुष्य समानता के आधार पर अपनी आर्थिक आवश्यकता को पूरी करनेेे के लिए आपस में सहयोग करते हैं
इनकी विशेषताएं निम्नलिखित है:-
1- प्रजातंत्रीय प्रबंधन व्यवस्था:-यहां पर एक व्यक्ति एकमत का सिद्धांत लागू होता है चाहे व्यक्ति के पास कितना भी अंश क्यों ना हो।
2- ऐच्छिक सदस्यता:- इसमें व्यक्ति अपनी इच्छा से शामिल हो सकता है इसमें सदस्य बनने हेतु शामिल होने वाले व्यक्ति को समिति में अंशदान करना होता है।
3- सामान्य हितों की रक्षा:-सरकारी संगठनों का उद्देश्य केवल लाभ कमाना नहीं होता बल्कि एक दूसरे के हितों की रक्षा करना भी होता है।
4- पारस्परिक सहयोग:-सरकारी संस्थाओं में छोटे-बड़े अमीर-गरीब जाति,रंग,नस्ल के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता इसमें सभी सदस्य पारस्परिक सहयोग करते हैं।
5- कमजोर वर्ग के द्वारा स्थापित:-जादर सहकारी संगठनों की स्थापना समाज के सेवक द्वारा की जाती है जिसके पास संसाधनों का अभाव रहता है इस संगठन में व्यक्ति मिलजुल कर अपना व्यापार करते हैं तथा यह कमजोर वर्ग जैसे कृषक,मछुआरे , मजदूर,दुग्ध उत्पादक आदि वर्ग के द्वारा स्थापित किया जाता है।
6- लाभ की भावना का ना होना:-सहकारिता केवल व्यापार के लिए ही नहीं होता है बल्कि यह व्यापार और सेवा भावना का मिश्रण होता है इन संस्थाओं का उद्देश्य लाभ कमाने से अधिक समाज व सदस्यों को शोषण से बचाना है।
7- बिचौलियों का अंत:-सहकारी संस्था सीधे उत्पादकों से माल खरीद कर ग्राहकों को भेजती है इसमें ना केवल बिचौलियों और दलालों का अंत होता है बल्कि उपभोक्ताओं को भी कम मूल्य पर वस्तु मिलती है।
8-व्यवसाय संचालन:-प्रत्येक सहकारी संस्था का मुख्य उद्देश्य व्यवसाय चलाना होता है या व्यवसाय किसी भी रूप में हो सकता है जैसे सहकारी उपभोक्ता भंडार, सहकारी बैंक, कृषि उपज विपणन सहकारी समिति आदि।
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