चंद्रयान-2: आशंका है... हमारे विक्रम लैंडर ने चांद पर क्रैश लैंडिंग की |
उम्मीद पर दुनिया कायम है इस बात से सभी परिचित हैं और यह बात चंद्रयान -2 के सन्दर्भ में सत्य साबित होती है क्योकि विदेशी मीडिया के मुताबिक चंद्रयान-2 के लेंडर का अस्तित्व अभी पुर्णतः समाप्त नहीं हुआ है वह अब भी काम करेगा | जानिए केसे :-
➤आशंका है कि विक्रम लेंडर चांद की सतह पर क्रैश हो गया
➤ऑर्बिटर की मदद से उसकी तस्वीर लेने की कोशिश की जा रही
➤उम्मीद पर दुनिया कायम है, विक्रम लैंडर्स फिर से काम करेगा, इसी उम्मीद के साथ इसरो वैज्ञानिक अब भी काम कर रहे हैं। इसरो के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार ऐसी आशंका है कि विक्रम लेंडर चांद की सतह पर क्रैश हो गया।
➠अब ओर्बिटर की मदद से उसकी तस्वीर लेने की कोशिश की जा रही है साथ ही वैज्ञानिक विक्रम लेंडर के फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर के डाटा से यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर क्यों वह अपने रास्ते से भटक गया। फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर वैसा ही यंत्र होता है जैसे किसी विमान का ब्लैक बॉक्स।
➠इसरो के मुताबिक चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर विक्रम अपने रास्ते से भटक गया था और उसका इसरो से संपर्क समाप्त हो गया था ।
➠वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्हें आशंका है कि इसके बाद वह जिस गति से नीचे आ रहा था उसी गति से वह चांद की सतह से टकरा गया होगा । चूंकि, ऑर्बिटर लगातार चाँद के चक्कर लगा रहा हैं और लेंडर का उससे बिच बिच में सम्पर्क हो रहा हैं , इसलिए इसरो वैज्ञानिकों को अब भी उम्मीद है लेंडर से संपर्क स्थापित हो सकता हैं ।
➤चित्र में दर्शाए गए ग्राफ के मुताबिक लेंडर को रेड लाइन से आना था लेकिन वह रास्ता भटक गया |
➟हमारे विक्रम लेंडर और रोवर प्रज्ञान कब तक काम करेंगे इसका पता तो डाटा एनालिसिस के बाद ही पता चलेगा। इसरो वैज्ञानिक अभी यह पता कर रहे हैं कि चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर ऊंचाई पर विक्रम अपने तय मार्ग से क्यों भटका और इसे क्या नुक्सान हुआ । इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि विक्रम लैंडर के साइड में लगे छोटे-छोटे चार स्टेरिंग इंजनों में से किसी एक ने काम ना किया हो या हो सकता है तय समय पर उसे सिग्नल न मिला हो । इसकी वजह से विक्रम लेंडर अपने तय मार्ग से भटक गया हो। यहीं से सारी समस्या शुरू हुई इसलिए वैज्ञानिक इसी पॉइंट की स्टडी कर रहे हैं |
➟इसके अलावा यह जान लेना आवश्यक है कि हमारा ऑर्बिटर अब भी समाप्त नहीं हुआ वह अब भी चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है तथा ऑर्बिटर में लगी ऑप्टिकल हाई रेजोल्यूशन कैमरा (OHRC) से विक्रम लेंडर की तस्वीर ली जाएगी। यह कैमरा चांद की सतह पर 0.3 मीटर यानी 1.08 फीट तक की ऊंचाई वाली किसी भी चीज की स्पष्ट तस्वीरें ले सकता है। इन तसविरों के आकलन के बाद पता चलेगा कि विक्रम लेंडर को कितना नुकसान हुआ है
➟हालांकि, ओर्बिटर को लेंडर के सामने की ऑर्बिट मे आने मे थोड़ा समय लगेगा, क्योंकि लैंडर और ओर्बिटर अलग-अलग कक्षा में चक्कर लगा रहे हैं |
➟एक भारतीय होने के नाते आपका कर्तव्य है की आप इसरों पर इलज़ाम न लगाये बल्कि उनका साथ दे और COMMENT में " I LOVE ISRO " दर्ज कर देश के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित करें
THANKYOU