मध्यप्रदेश में वन आधारित उद्योग । सम्पूर्ण जानकारी । MP GK

वनों पर आधारित उद्योग 

वनों पर आधारित उद्योग निम्नलिखित हैं
1.कागज उद्योग 
2.बीड़ी उद्योग 
3.लकड़ी चीरने का उद्योग 
4.दियासलाई उद्योग 
5.कत्था उद्योग 
6.लाख उद्योग

1.कागज उद्योग 
कागज बनाने में बांस लकड़ी घास आदि का प्रयोग किया जाता है।
1948-49 में नेशनल न्यूज़ प्रिंटिंग एंड पेपर मिल की स्थापना खंडवा के नेपानगर में स्थापित की गई थी जो वर्तमान में बुरहानपुर में है।
1963 में ओरिएंटल पेपर मिल अमलाई शहडोल में स्थापित की है जो बिडला कंपनी द्वारा स्थापित की गई।
सिक्योरिटी पेपर मिल होशंगाबाद में स्थित है यहां पर नोट छापने के कागज तथा स्टांप पेपर के कागज बनाए जाते हैं।
महीन कागज बनाने के कारखाने इंदौर में स्थापित है।
कागज उद्योग में प्रदेश के वनों का समुचित उपयोग किया है जिससे ना केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को सहारा मिला है बल्कि रोजगार में बढ़ोतरी हुई है ।

2.बीड़ी उद्योग
प्रदेश में तेंदूपत्ता बहुत अधिक मात्रा में प्राप्त होता है । मजदूर अपने फुर्सत के समय बीडियो का निर्माण करते हैं इस व्यवस्था में पुरुष महिला तथा बच्चे सभी संलग्न होते हैं । 
इस उद्योग का महत्वपूर्ण केंद्र जबलपुर तथा छतरपुर में स्थापित है।

3.दियासलाई उद्योग
मध्यप्रदेश में दिया सलाई बनाने के कारखाने ग्वालियर में स्थापित है।

4.लकड़ी चीरने का उद्योग
प्रदेश में लकड़ी चीरने का उद्योग काफी प्रचलित है इसके लगभग 113 कारखाने हैं।
यहां पर इमारती लकड़ी के बड़े-बड़े लट्ठे लाए जाते हैं तथा इन्हें उपयुक्त आकार में चिरा जाता हैं ।
इसका मुख्य केंद्र जबलपुर में है।

5.कत्था उद्योग
मध्यप्रदेश में खैर के वृक्षों की अधिकता होने के कारण यहां पर कत्था उद्योग का विकास हुआ है।
मध्यप्रदेश में खेरवाल जनजाति के द्वारा कत्था निकालने का कार्य किया जाता है ।
कत्था आधारित उद्योग प्रदेश में शिवपुरी , बानमोर मुरैना में स्थापित है।

6.लाख उद्योग
मध्यप्रदेश में लाख बनाने का कारखाना उमरिया में स्थापित है।

वन संपदा से प्राप्त लाभ
वनों का आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है। वनों की संपदा से लाभ को मुख्यतः दो भागों में बांटा जा सकता है।
1.प्रत्यक्ष लाभ
2.अप्रत्यक्ष लाभ

1.वनों से प्रत्यक्ष लाभ
वन बहुमूल्य लकड़ी का भंडार है जिससे राज्यों को करोड़ों की आय प्राप्त होती है।
वन उत्तम चारागाह इससे राज्य में पशुधन विकास में सहायता मिलती है।
वनों से अनेकों आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां प्राप्त होती जिससे प्रतिवर्ष राज्य को करोड़ों की आमदनी प्राप्त होती है।
राज्य का 90% जलाने हेतु ईंधन लकड़ी से ही प्राप्त होता है।
वनों से प्राप्त चीड़ , देवदार , साल , सागवान , शीशम आदि इमारती लकड़ियों एवं अतिरिक्त द्वितीयक उत्पादों से राज्य की सकल आय में 15% की वृद्धि होती है ।
प्रदेश के अनेक वन क्षेत्रों में पर्यटन स्थल विकसित किए गए जो कि राज्य की आय का स्त्रोत है ।
राज्य की जनजाति जनसंख्या को रोजगार एवं जीविकोपार्जन वनों से प्राप्त होते हैं।

2.वनों से अप्रत्यक्ष लाभ
वन बाढ़ नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
वनों की सघनता के कारण तेज जल का प्रवाह धीमा हो जाता है।
वन भूमि के कटाव को रोकते हैं।
राज्य में वनों की अधिकता के कारण जलवायु को सम बनाने में सहायता मिलती है।
वनों से गिरने वाली पत्तियां भूमि की उर्वरता बढ़ाने में सहायता प्रदान करती है।
वनों द्वारा वर्षा को आकर्षित करने एवं बाढ़ की भयंकरता को कम करने की क्षमता होती है जिससे अकाल की क्षमता को कम किया जा सकता है।
वन प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाने एवं पर्यावरण में भी सहायक है।



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