उज्जैन की गौरव गाथा
उज्जयिनी का प्रमाणिक इतिहास 3000 साल से ज्यादा पुराना है। सम्राट विक्रमादित्य ने इस शहर की ख्याति को सुदूर देशों तक पहुंचाया। एक समय में भारत में सोलह महाजनपद थे। उनमें से अवंति जनपद भी एक था | अवंति जनपद उत्तर एवं दक्षिण दो भागों में विभक्त था । उत्तरी भाग की राजधानी उज्जयिनी थी तथा दक्षिण भाग की राजधानी 'महिष्मति' थी। उस समय चंद्रप्रद्योत नाम का राजा सिंहासन पर था। इस प्रद्योत रांजा के वंशजों का उज्जयिनी पर लगभग ईसा की तीसरी शताब्दी तक शासन रहा था ।
⇒उज्जैन क्षिप्रा नदी के किनारे बसा मध्यप्रदेश का प्रमुख धार्मिक नगर है। यह ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का प्राचीन शहर है।
⇒महाराजा विक्रमादित्य के शासन काल में उनके राज्य की राजधानी उज्जैन थी। इसको कालिदास की नगरी भी कहा जाता है।
⇒उज्जैन में हर 12 वर्ष के बाद 'सिंहस्थ कुंभ का मेला होता है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक 'महाकालेश्वर' इसी नगरी में है।
⇒मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध नगर इन्दौर से यह 55 कि.मी. की दूरी पर है। उज्जैन के अन्य प्राचीन प्रचलित नाम हैं- 'अवन्तिका', 'उज्जयिनी', 'कनका' है। उज्जैन मंदिरों का नगर है। यहाँ अनेक तीर्थ स्थल है। इसकी जनसंख्या करीब 6 लाख है।
⇒उज्जैन का प्राचीन इतिहास काफ़ी विस्तृत है। यहाँ के गढ़ क्षेत्र में हुई खुदाई में ऐतिहासिक एवं प्रारंभिक लौह युगीन सामग्री अत्यधिक मात्रा में प्राप्त हुई है। महाभारत व पुराणों में उल्लेख है कि भगवान कृष्ण व बलराम उज्जैन में गुरु संदीपनि के आश्रम में विद्या प्राप्त करने आये थे। कृष्ण की पत्नी मित्रवृन्दा उज्जैन की राजकुमारी थीं और उनके दो भाई 'विन्द' एवं 'अनुविन्द' ने महाभारत के युद्ध में कौरवों की तरफ से युद्ध किया था।
⇒उज्जैन का अन्य अत्यंत प्रतापी राजा हुआ है, जिसका नाम चंडप्रद्योत था। भारत के अन्य राजा भी उससे डरते थे। ईसा की छठी सदी में वह उज्जैन का शासक था। उसकी पुत्री वासवदत्ता एवं वत्स राज्य के राजा उदयन की प्रेम कथा इतिहास में बहुत प्रसिद्ध है। बाद के समय में उज्जैन मगध साम्राज्य का अभिन्न अंग बन गया था।