राष्ट्रीय महिला आयोग | समझिए महिलाओं की असली स्थिति | महिला बाल विकास |

राष्ट्रीय महिला आयोग
National commission for women

भारतीय समाज अभी भी पितृसत्तात्मक है तथा महिलाओं की स्थिति पुरुषों की तुलना में निम्न है ।
महिलाएं हमेशा से ही उपेक्षित रही है फल अतः संविधान में उनके उत्थान एवं संरक्षण हेतु विशेष व्यवस्था की गई है।
भारतीय संविधान के अनेक अनुच्छेदों के अंतर्गत महिलाओं के विकास से संबंधित प्रावधान किए गए हैं जो कि इस प्रकार है ।

अनुच्छेद 14 के अंतर्गत सभी भारतीय नागरिकों को राज्य के द्वारा सामान सुरक्षा देने का प्रावधान है।

अनुच्छेद 15 (1)  नागरिकों में जाति धर्म लिंग एवं मूल के आधार पर भेद नहीं करने का प्रावधान करता है।

 अनुच्छेद 16(1)और अनुच्छेद 16 (2) मैं लिंग के आधार पर राज्य के किसी संगठन में कार्यरत कर्मियों मेरी वेद नहीं करने का प्रावधान किया गया है।

अनुच्छेद 15 (3) में स्पष्ट वर्णित है कि महिलाओं के लिए राज्य किसी प्रकार का विशेष प्रावधान कर सकता है ।

अनुच्छेद 39 (5)  के अनुसार राज्य अपने सभी कर्मियों महिलाओं पुरुष के स्वास्थ्य के लिए प्रावधान करेगा साथ ही यह भी ध्यान रखेगा की आर्थिक कारणों से महिलाओं का किसी प्रकार का शोषण ना हो।

अनुच्छेद 51 (5 /e)  के अनुसार प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वे ऐसी किसी भी परंपरा का अनुपालन नहीं करें जो महिलाओं की गरिमा के विरुद्ध है।

अतः भारत सरकार द्वारा महिलाओं के उत्थान विकास तथा सहयोग हेतु राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 के अंतर्गत 31 जनवरी 1992 को राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना की गई यह एक सांविधिक निकाय है | 


राष्ट्रीय महिला आयोग की संरचना :→

➤(1) इसमें एक अध्यक्ष एवं एक सदस्य सचिव तथा पांच अन्य सदस्य होते हैं।
➤(2) राष्ट्रीय महिला आयोग में अनुसूचित जाति एवं जनजाति का भी एक सदस्य होना चाहिए तथा प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है ।

➤(3) आयोग के अध्यक्ष है सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है परंतु अपना पद किसी भी समय केंद्र सरकार को त्यागपत्र देकर छोड़ सकते हैं इसके अलावा केंद्र सरकार निर्धारित परिस्थितियों में इनके कार्यकाल से पूर्व भी इन्हें हटा सकती है |


राष्ट्रीय महिला आयोग के कार्य :→
➤(1) संविधान और कानूनों के अधीन महिलाओं को उपलब्ध कराए गए सुरक्षा उपायों से जुड़े सभी मामलों जांच एवं परीक्षण करना तथा इस संबंध में केंद्र सरकार को वार्षिक के अन्य अनुकूल समय पर रिपोर्ट भेजना ।
➤(2) महिलाओं से संबंधित वर्तमान उपबंध एवं कानूनों की समीक्षा करना तथा संशोधनों का सुझाव देना ।

➤(3) महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव और उत्पीड़न कार्यस्थल पर यौन शोषण जैसी समस्याओं की जांच करना और इस मामले में सक्षम अधिकारी को सुझाव देना ।









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