मध्यप्रदेश की उरांव जनजाति की संपूर्ण जानकारी:-
➤सीधी , सिंगरौली , अनूपपुर तथा शहडोल जिलों में निवासरत उरांव जनजाति की उत्पत्ति द्रविडों से मानी जाती है।
➤उरांव दक्षिण भारत से आए हैं।
➤इनका मुख्य कार्य खेती मजदूरी रहा है ।
➤इनका मुखिया महतो कहलाता है तथा पुरोहित बेगा ।
➤इनके बीच झगड़ों के निपटान के लिए एक परहा राजा होता है ।
➤सर्वाधिक संख्या में ईसाई धर्म स्वीकार करने वाली जनजाति भी उरांव ही है ।
➤इनके प्रमुख देवता धर्मेश से जो सूर्य देवता का ही प्रतीक है यह लोग महादेव की भी पूजा करते हैं ।
➤इनके पारंपरिक गोत्र , मिज , लकड़ा , केरकेट्टा ।
➤इनके "युवा ग्रह" धूम कोरिया कहलाते हैं। सरना पूजा , करमा पूजा , कुलदेव पूजा इन के प्रमुख त्यौहार है।
➤सरहुल , करमा , घुडिया डंडा इनके प्रमुख नृत्य है।
➤इनकी प्रमुख बोली कुरुख है ।
➤यहां विवाह पूर्व युवक व युवती स्वच्छंद रहते हैं तथा इसमें विवाह पूर्व यौन संबंधों पर कोई आपत्ति नहीं होती है।
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➤सीधी , सिंगरौली , अनूपपुर तथा शहडोल जिलों में निवासरत उरांव जनजाति की उत्पत्ति द्रविडों से मानी जाती है।
➤उरांव दक्षिण भारत से आए हैं।
➤इनका मुख्य कार्य खेती मजदूरी रहा है ।
➤इनका मुखिया महतो कहलाता है तथा पुरोहित बेगा ।
➤इनके बीच झगड़ों के निपटान के लिए एक परहा राजा होता है ।
➤सर्वाधिक संख्या में ईसाई धर्म स्वीकार करने वाली जनजाति भी उरांव ही है ।
➤इनके प्रमुख देवता धर्मेश से जो सूर्य देवता का ही प्रतीक है यह लोग महादेव की भी पूजा करते हैं ।
➤इनके पारंपरिक गोत्र , मिज , लकड़ा , केरकेट्टा ।
➤इनके "युवा ग्रह" धूम कोरिया कहलाते हैं। सरना पूजा , करमा पूजा , कुलदेव पूजा इन के प्रमुख त्यौहार है।
➤सरहुल , करमा , घुडिया डंडा इनके प्रमुख नृत्य है।
विवाह पद्धति➨
➧बूंदे विवाह (वधू की मर्जी से)।
➧बंधवा (राजा की मर्जी से किया गया विवाह) ।
➧इनमें संगोत्र विवाह वर्जित है।
➧विवाह में वधू के पिता को वधू धन देने का प्रचलन है।
➧तलाक विवाह , विधवा विवाह , बहु विवाह का भी प्रचलन है ।
➧यह अपने शरीर पर गोदना गुदवाते है।
➤यहां विवाह पूर्व युवक व युवती स्वच्छंद रहते हैं तथा इसमें विवाह पूर्व यौन संबंधों पर कोई आपत्ति नहीं होती है।
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साँची स्थल के महत्वपूर्ण तथ्य |
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