आचार्य चाणक्य की सहायता से ही चंद्रगुप्त मौर्य भारत का प्रथम चक्रवर्ती सम्राट बना था । आचार्य कौटिल्य ने अपने ग्रंथ अर्थशास्त्र में राजा के कर्तव्य, प्रशासन और जनता के संदर्भ में राजा की भूमिका का स्पष्ट वर्णन किया है । चाणक्य के अनुसार राजा को प्रजा के साथ संतान की भांति व्यवहार करना चाहिए इसी पर उन्होंने राज्य का सप्तांग सिद्धांत दिया जिसकी तुलना उन्होंने मानव शरीर के अंगों से की है ।
1.➤ राजा- तुल्य अंग सिर➨ यह राज्य का महत्वपूर्ण अंग है जिसका महत्वपूर्ण कार्य निर्णय लेना योजना बनाना और राज्य का संचालन करना है ।
2.➤आमात्य- तुल्य अंग नेत्र ➨ आमात्य योग्य और वफादार होना चाहिए बहुत जांच पड़ताल के बाद ही इसकी नियुक्ति की जानी चाहिए ।
3.➤जनपद- तुल्य अंग संपूर्ण शरीर➨ आचार्य चाणक्य के अनुसार जन भूमि, उपजाऊ पहाड़ी ,नदियों, सघन वन प्रदेशों ,खनिज संसाधनों से आच्छादित होना चाहिए।
4.➤दुर्ग- तुल्य अंग जांघ➨ कौटिल्य के अनुसार राजा के संकट के समय में उसका दुर्ग मजबूत होना चाहिए ।
5.➤मित्र- तुल्य अंग कान➨ मित्र सही परामर्श देने वाले और संकट काल में उपयोगी होने चाहिए ।
6.➤कोष- तुल्य अंग पेट➨ कौटिल्य के अनुसार राजा का राज कोष समृद्ध होना चाहिए ।
7.➤दंड- सेना से तुल्य➨ अर्थात राज्य की सुरक्षा हेतु एक मजबूत विशाल स्थाई सेना होनी चाहिए जो संकट काल में राज्य की सुरक्षा कर सके ।
आचार्य चाणक्य कि यह प्रशासनिक व्यवस्था आज भी संपूर्ण विश्व में उपयोगी है ।
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5.➤मित्र- तुल्य अंग कान➨ मित्र सही परामर्श देने वाले और संकट काल में उपयोगी होने चाहिए ।
6.➤कोष- तुल्य अंग पेट➨ कौटिल्य के अनुसार राजा का राज कोष समृद्ध होना चाहिए ।
7.➤दंड- सेना से तुल्य➨ अर्थात राज्य की सुरक्षा हेतु एक मजबूत विशाल स्थाई सेना होनी चाहिए जो संकट काल में राज्य की सुरक्षा कर सके ।
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