मध्यप्रदेश की प्रमुख बोलियां, महत्वपूर्ण तथ्य PSCMAHOL

"मध्यप्रदेश की प्रमुख बोलियां: एक भाषाओं का संगम"


मध्यप्रदेश राज्य भारतीय मूल की प्रमुख भाषाओं, संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत का आदान-प्रदान करने वाले एक प्रमुख राज्य है। यहां कई बोलियां बोली जाती हैं और प्रत्येक बोली अपनी ख़ासियत और विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां कुछ प्रमुख बोलियों का विस्तारित वर्णन है:



1. हिंदी: 

➥ हिंदी भारत की आधिकारिक और प्रमुख भाषा है और यह देश भर में व्यापक रूप से बोली जाती है। हिंदी को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है और यह संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक है।


➥ हिंदी बहुत समृद्ध भाषा है जिसमें व्याकरण, शब्दावली, और वाक्य निर्माण के कई सिद्धांत हैं। यह विभिन्न रूपों में बोली जाती है, जैसे कि मध्यप्रदेशी हिंदी, उत्तरी हिंदी, पश्चिमी हिंदी, और पूर्वी हिंदी आदि। हिंदी भाषा में गद्य और पद्य दोनों का व्यापक उपयोग होता है और यह साहित्यिक और गैर-साहित्यिक रचनाओं के लिए भी प्रयुक्त होती है।


➥ हिंदी भारतीय संविधान में देश की राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुकी है और यह सरकारी दस्तावेजों, संचार, शिक्षा, मीडिया, और व्यापार में व्यापक रूप से उपयोग होती है। हिंदी भाषा का महत्व और प्रचार पूरे देश में बढ़ाया जाता है और यह भारतीय सभ्यता और एकता के प्रतीक के रूप में मान्यता प्राप्त है।


2. मालवी: 

➥ मालवी एक मध्यप्रदेश की प्रमुख भाषा है जो मालवा क्षेत्र में बोली जाती है। यह भाषा मध्यप्रदेश के कई जिलों में प्रमुखतः उज्जैन, इंदौर, देवास, रतलाम, राजगढ़, शाजापुर, मंदसौर और नीमच में बोली जाती है।


➥ मालवी भाषा के वक्ता इसे मालवी बोली, उज्जैनी या मालवियाली भी कहते हैं। यह भाषा मध्यप्रदेश की स्थानीय बोली होने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी बोली जाती है।


➥ मालवी भाषा का व्याकरण देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। इसकी विशेषताएं में स्पष्टता, असीमित संवाद क्षमता, रसिकता, और भावनात्मकता की मात्रा शामिल होती हैं। मालवी भाषा में कई प्रमुख काव्य, गीत, लोकगीत और नाटक विकसित हुए हैं, जो मालवी साहित्य की धनी परंपरा को दर्शाते हैं।


➥ मालवी भाषा का उपयोग नागरिकों के बीच दैनिक जीवन, सामाजिक सभ्यता, संस्कृति और रंगमंच में होता है। यहां लोग मालवी भाषा का गर्व और सम्मान करते हैं और इसे अपनी आदिवासी और राज्यीय पहचान का प्रतीक मानते हैं।


3. भोजपुरी: 

➥ भोजपुरी एक मध्यप्रदेश में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। यह उत्तरी और पूर्वी मध्यप्रदेश के क्षेत्रों में प्रमुख रूप से बोली जाती है। भोजपुरी भाषा का उद्गम उत्तर प्रदेश के भोजपुर क्षेत्र से हुआ है, लेकिन मध्यप्रदेश में भी यह बहुतायत में बोली जाती है।


➥ भोजपुरी भाषा में अधिकांशतः बड़े हिस्से में भोजपुरी वर्णमाला और व्याकरण नियम हिंदी से मिलते-जुलते हैं। भोजपुरी में कई व्यंजन और मात्राएं होती हैं, जो उच्चारण में थोड़े अलग होते हैं। भोजपुरी भाषा उत्तर प्रदेश, बिहार, जार्खंड, और नेपाल के कुछ हिस्सों में भी बोली जाती है।


➥ भोजपुरी भाषा में कई गीत, कहानी, कविता और नाटकों का विकास हुआ है। इसे लोक गीतों, विवाह गीतों, चैता, सम्बलपुरी, बिरहा, और होली गीतों की भाषा के रूप में भी जाना जाता है।


➥ भोजपुरी भाषा मध्यप्रदेश के भोजपुर, छतरपुर, सतना, सागर, दमोह, शाहडोल, उमरिया, और दतिया जिलों में व्यापक रूप से बोली जाती है। यहां के लोग भोजपुरी भाषा को अपनी पहचान का हिस्सा मानते हैं और इसे गर्व से बोलते हैं।


4. निमाड़ी: 

➥ निमाड़ी एक भाषा है जो मध्यप्रदेश और गुजरात राज्यों के निमाड़ क्षेत्र में बोली जाती है। यह निमाच, खड़गाव, झाबुआ, रतलाम और दाहोद जिलों में प्रमुखतः बोली जाती है। निमाड़ी भाषा के वक्ता इसे निमाड़ी बोली या निमार भाषा के रूप में भी जानते हैं।


➥ निमाड़ी भाषा का विकास निमाच जिले के परंपरागत सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और जनसंख्या के कारणों से हुआ है। इसका व्याकरण गुजराती और मराठी भाषाओं के साथ कुछ रूपांतरण का आदान-प्रदान करता है।


➥ निमाड़ी भाषा का व्याकरण तीन व्यंजन श्रेणियों - वर्गीय, उच्चारणीय और संधि सम्बंधी व्यंजनों के आधार पर विभाजित होता है। इसमें अक्षरों की मात्राओं का महत्वपूर्ण रोल होता है और संधि नियमों का पालन किया जाता है। निमाड़ी भाषा में लोगों के दैनिक जीवन, संगठन और सामाजिक मामलों के साथ-साथ लोकगीतों, वार्तालाप और कथा-काव्य के रूप में भी व्यक्ति करते हैं।


➥ निमाड़ी भाषा और साहित्य की संरचना अपनी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। यह भाषा निमाड़ क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है और लोग इसे अपनी आदिवासी और क्षेत्रीय पहचान का एक प्रतीक मानते हैं।


5. अवधी: 

➥ अवधी मध्यप्रदेश राज्य के कुछ जिलों में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। यह भाषा मुख्य रूप से बांदा, छतरपुर, महोबा, दतिया और सागर जिलों में बोली जाती है। अवधी भाषा उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र की भाषा के रूप में भी प्रसिद्ध है।


➥ अवधी भाषा उत्तरी भारतीय आर्य भाषा परिवार की अवधी-अवधेशी शाखा से सम्बन्धित है। यह भाषा अत्यंत समृद्ध शास्त्रीय साहित्य का स्रोत है और उत्तरी भारत में कविता, काव्य, कथा, नाटक और भक्तिसंगीत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


➥ अवधी भाषा का प्रयोग लोकगीतों, किस्सों, और देवी-देवताओं के भजनों में भी किया जाता है। इसकी विशेषता उत्तरी भारतीय संस्कृति, धार्मिकता और भक्ति आचरणों के साथ जुड़ी हुई है। अवधी भाषा के माध्यम से लोग अपने विचार, भावनाएं और सांस्कृतिक सामरस्य को व्यक्त करते हैं।


➥ यह उच्च स्तर की साहित्यिक परंपरा, भक्ति और वोल्क लोकसंगीत के लिए मशहूर है। प्रसिद्ध अवधी कवि तुलसीदास ने अपनी महाकाव्य "रामचरितमानस" को अवधी भाषा में रचा था, जिसने इस भाषा को आदर्शता की स्थानीय और राष्ट्रीय साहित्यिक परंपराओं में स्थान दिया है।


➧ ये कुछ मध्यप्रदेश की प्रमुख बोलियां हैं, हालांकि राज्य में और भी कई भाषाएं बोली जाती हैं। यहां सभी भाषाओं की सम्मानित और महत्वपूर्ण स्थिति है, और लोग इन भाषाओं का गर्व और महत्व समझते हैं।

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