समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code). PSC MAHOL

 समान नागरिक संहिता 

(Uniform Civil Code- UCC)  

"समान नागरिक संहिता: भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव" 

(Uniform Civil Code: A Significant Proposal for Indian Society). PSC MAHOL

🧿समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code- UCC) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद समान नागरिक संहिता का मुद्दा एक बार फिर से गर्मा गया है. देशभर में इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है. तमाम विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर अपने-अपने तर्क देकर सवाल उठा रहे हैं । 

🧿एक ओर जहाँ देश की बहुसंख्यक आबादी समान नागरिक संहिता को लागू करने की पूरजोर मांग उठाती रही है, वहीं अल्पसंख्यक वर्ग इसका विरोध करता रहा है। 

🧿आइए आपको बेहद आसान भाषा में बताते हैं कि क्या है समान नागरिक संहिता,क्यों है देश में इस कानून की आवश्यकता, अचानक क्यों छिड़ गई है इस पर बहस और ये किन-किन देशों में लागू है?

समान नागरिक संहिता UCC

समान नागरिक संहिता क्या है?

What is Uniform Civil Code (UCC)?  

🧿संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता की चर्चा की गई है। समान नागरिक संहिता दरअसल एक देश एक कानून की विचारधार पर आधारित है। इसके अंतर्गत देश के सभी धर्मों और समुदायों के लिए एक ही कानून लागू किया जाना है। 

🧿समान नागरिक संहिता यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड में संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन, विवाह, तलाक और गोद लेना आदि को लेकर सभी के लिए एकसमान कानून बनाया जाना है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। 

🧿इस समय देश में कई धर्म के लोग विवाह, संपत्ति और गोद लेने आदि में अपने पर्सनल लॉ का पालन करते हैं। मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का अपना-अपना पर्सनल लॉ है जबकि हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं। 


देश में इस कानून की क्या आवश्यकता है ?

🧿भारतीय संविधान के मुताबिक भारत एक धर्म-निरपेक्ष देश है, जिसमें सभी धर्मों व संप्रदायों (जैसे - हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, आदि) को मानने वालों को अपने-अपने धर्म से सम्बन्धित कानून बनाने का अधिकार है। 

🧿अलग-अलग धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है। समान नागरिक संहिता लागू होने से इस परेशानी से निजात मिलेगी और अदालतों में वर्षों से लंबित पड़े मामलों के फैसले जल्द होंगे। 

🧿शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा। वर्तमान में हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ यानी निजी कानूनों के तहत करते हैं।


विश्व के किन किन देशों में इस कानून को मान्यता मिली है ?

🧿समान नागरिक संहिता को लेकर अगर दुनिया की बात करें, तो ऐसे तमाम देश हैं जहां ये लागू है. इस लिस्ट में इनमें अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र जैसे तमाम देशों के नाम शामिल हैं, इन सभी देशों में सभी धर्मों के लिए एकसमान कानून है और किसी धर्म या समुदाय विशेष के लिए अलग कानून नहीं हैं।  ।


क्या है हिन्दू पर्सनल लॉ : 

🧿भारत में हिन्दुओं के लिए हिन्दू कोड बिल लाया गया। देश में इस बिल का काफी विरोध हुआ, बाद में इस बिल को चार हिस्सों में बांट दिया गया था। 

🧿तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसे हिन्दू मैरिज एक्ट, हिन्दू सक्सेशन एक्ट, हिन्दू एडॉप्शन एंड मैंटेनेंस एक्ट और हिन्दू माइनोरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट में बांट दिया था। 

🧿इस कानून द्वारा महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ । इनके तहत महिलाओं को पैतृक और पति की संपत्ति में अधिकार मिलता है। इसके अलावा अलग-अलग जातियों के लोगों को एक-दूसरे से शादी करने का अधिकार है।


देश में UCC की दिशा में अब तक किये गए प्रयास

🧿1954 के विशेष विवाह अधिनियम के तहत किसी भी धर्म के नागरिक को विवाह की अनुमति दी जाती है। यह अधिनियम भारतीय नागरिक को धार्मिक रीति रिवाजों से हटकर विवाह करने का अधिकार देता है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो

🧿1985 का शाह बानो केस में शाह बनो को उसके पति ने भरण -पोषण देने से इंकार किया था। सीआरपीसी की धरा 125 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। यह सभी भारतीय नागरिकों को अपनी पत्नी और बच्चों साथ ही माता पिता के भरण पोषण और रखरखाव के आदेश को लागू करता है।

🧿1995 के सरला मुद्गल केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के साथ-साथ 2019 के ‘पाउलो कॉटिन्हो बनाम मारिया लुइज़ा वेलेंटीना परेरा’ मामले में समान नागरिक संहिता को लागू किये जाने का प्रस्ताव रखा ।


समान नागरिक संहिता के फायदे

⛊ लैंगिक समानता बढ़ेगी जिससे लैंगिक अपराध में कमी आएगी ।

⛊ कानूनों में सरलता और स्पष्टता आएगी साथ ही  सभी नागरिकों के लिए कानून समझने में आसानी होगी।

⛊ समान नागरिक संहिता लागू होने से सभी समुदाय के लोगो को एक समान अधिकार दिए जायेंगे।

⛊ समान नागरिक सहिंता लागू होने से भारत में महिला सशक्तिकरण में सुधार होगा।

⛊ व्यक्तिगत या धर्म के आधार पर होने वाले भेदभाव को समाप्त  करने में सफलता मिलेगी।

⛊ महिलाओं का अपने पिता की सम्पति पर अधिकार होगा । 

⛊ गोद लेने से संबंधी सभी मामलों में एक सामान नियम लागू हो जायेंगे।

⛊ पूर्व से चली आ रही मुस्लिम समुदाय की प्रथा जिसमे लड़कियों की कम उम्र में शादी कर दी जाती है । समान नागरिक सहिंता लागू होने से मुस्लिम लड़कियों की छोटी आयु में विवाह होने से रोका जा सकेगा।

⛊ धार्मिक रूढ़ियों के कारण समाज के किसी वर्ग एवं व्यक्ति के अधिकारों के हनन को रोका जा सकेगा।


सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर


Q. UCC का पूरा नाम क्या है ?

➤ यूसीसी का फुल फॉर्म यूनिफॉर्म सिविल कोड है जिसे हिंदी में समान नागरिक सहिंता के नाम से जानते हैं।

Q. भारत के संविधान में समान नागरिक सहिंता की चर्चा किस अनुच्छेद में की गयी है ?

➤ संविधान के अनुच्छेद 44 के भाग 4 में समान नागरिक सहिंता की चर्चा की गयी है। इस आर्टिकल में राज्य को देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक सहिंता लागू करने के लिए कहा गया है।

Q. भारत में किस राज्य में समान नागरिक सहिंता सिविल कोड लागू है ?

➤ देश में गोवा एक अकेला राज्य है जहाँ समान नागरिक सहिंता लागू है। इसे पुर्तगाली सिविल कोड 1867 के नाम से भी जानते हैं।

Q. समान नागरिक सहिंता के अंतर्गत किन क्षेत्रों को शामिल किया जाता है ? 

 ➤ तलाक, विरासत ,रखरखाव, विवाह,गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे क्षेत्र शामिल करता है।

Q. किन देशों में समान नागरिक सहिंता को अपनाया गया है ?

➤ पाकिस्तान ,बांग्लादेश ,तुर्की ,मलेशिया ,सूडान ,इंडोनेशिया ,इजिप्ट जैसे देशों में समान नागरिक सहिंता को अपनाया गया है। 

Q. मुस्लिम समुदाय का कानून किस पर आधारित है ?

➤ मुस्लिम समुदायका कानून शरीअत पर आधारित है।

Q. यूसीसी के अंतर्गत देश के सभी धर्मों, पंथों और समुदायों के लोगों के लिए एक ही कानून की व्यवस्था का प्रस्ताव है।

➤ मुस्लिमों को छोड़कर अन्य सभी धर्मों व संप्रदायों के लिए हिंदू मैरिज एक्ट 1956 लागू है। मुस्लिम धर्म के लिए भी समान कानून लागू होने से मुस्लिम महिलाओं व बच्चों के जीवन उत्थान में काफी मदद मिलेगी।


1. समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)

2. भारतीय नागरिकों के लिए संघीय नागरिक संहिता (Federal Civil Code for Indian Citizens)

3. समान मानवीय और नागरिक संघर्ष (Equal Human and Civil Rights)

4. विवाह, तलाक, अंगीकार, विवाहिता के अधिकार (Marriage, Divorce, Recognition, Spousal Rights)

5. संपत्ति, उपचार, नागरिक सुविधाएं (Property, Maintenance, Civil Facilities)

6. भारतीय संविधान और समान नागरिक संहिता (Indian Constitution and Uniform Civil Code)

7. सामान्य मुक़ाम और नागरिक संघर्ष (Equal Status and Civil Struggle)

8. नागरिक अधिकारों का संगठित ढांचा (Organized Framework of Civil Rights)

9. भारतीय समाज में समानता के प्रतीक (Symbol of Equality in Indian Society)

10. संविधानिक संशोधन की आवश्यकता (The Need for Constitutional Amendment)

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