महात्मा गांधी का दर्शन | गांधी जी के युवा समाज को उपदेश | PSCMAHOL

गांधी जयंती विशेष:- गांधी जी का देश को प्राप्त दर्शन 
इस गांधी जयंती पर याद करते है गांधी जी के वे उपदेश जो समाज में लाते है परिवर्तन , समाज को करते है विकसित , हर युवा को दिखाते है नयी राह |




समाज के समग्र उठान के लिए गांधी जी ने अपना दर्शन दिया | उनका दर्शन अहिंसा ,सत्य , मानवीय प्रयास और सर्वोदय की अवधारणा प्रेम ,त्याग , पारस्पार , सहयोग, भाईचारा , व्यक्तिगत के स्थान पर सार्वजनिक हीत पर आधारित था |

➤उन्होंने आर्थिक पक्ष पर बल देते हुए ट्रस्टीशिप का सिद्धांत दिया | गांधीजी इस सिद्धांत के अनुसार समाज में आर्थिक न्याय की स्थापना करना चाहते थे, वहीं आर्थिक विषमता को समाप्त करना चाहते थे | इस सिद्धांत के अनुसार पूंजीपति अपनी अर्जित संपत्ति का उतने भाग का ही उपभोग करें जितना वे कर सकते हैं शेष बची हुई धनराशि का उपयोग जनहित में करें |

➤इस सिद्धांत की उपयोगिता हमें निम्न रूप में देखने को मिलती है|-

1. इससे देश में आर्थिक विषमता कम होगी,
2.गरीबी और भुखमरी में कमी आएगी,
3.यह जैन धर्म के अपरिग्रह के सिद्धांत के अनुरूप होगा,
4.धन का उचित उपयोग होगा,
5.भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में सहायता मिलेगी |

➤वर्तमान समय में दुनिया के कई पूंजीपति जैसे बिल गेट्स , नारायणमूर्ति अपनी आय का बड़ा भाग जनकल्याण पर व्यय करते हैं |

आखिर क्यों कांग्रेस सरकार रख रही इतनी लम्बी छुट्टियाँ |


➤गांधीजी सामाजिक दृष्टि से कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था के समर्थक थे | वे उंच-नीच , छुआछूत का विरोध करते थे | इस संदर्भ में वे सामाजिक सुधार की बात करते थे | वे स्त्रियों की दशा में सुधार, बाल विवाह को रोकने दहेज़ प्रथा को रोकने,विधवा पुनर्विवाह को रोकने की बात करते हैं | उन्होंने महिला शिक्षा के संदर्भ में विशेष बल दिया |

➤महात्मा गांधी जी गांव के विकास की बात करते हैं उनका मानना है कि गांव का विकास होगा तो संपूर्ण देश का विकास होगा | गांधी जी ने विकेंद्रीकरण व्यवस्था पर बल दिया है | गांधीजी रामराज की अवधारणा के समर्थक थे ,और वै इसे  साकार करना चाहते थे |

➤गांधी जी ने स्वराज पर जोर दिया महात्मा गांधी जी के अनुसार राजनीति धर्म आधारित होना चाहिए उनके अनुसार धर्म विहीन  राजनीति में नैतिकता का समावेस होना परमावश्यक है |

➤गांधीजी धार्मिक क्षेत्र में धार्मिक रूढ़िवादिता, धार्मिक अंधविश्वास, धार्मिक कट्टरता ,धार्मिक सांप्रदायिकता के विरोधी थे | उन्होंने सर्वधर्म समभाव पर बल दिया | गांधीजी के अनुसार विभिन्न धर्मों में अच्छाइयों के साथ साथ कुछ कमियां भी है इसलिए धर्म परिवर्तन करना उचित नहीं है | इस प्रकार गांधी जी अपने दर्शन में सभी पक्षों को समाहित करते हैं | गांधीजी ने साधन एवं साध्य की पवित्रता पर बल दिया है |

गांधी जी का संपूर्ण दर्शन सत्य ,अहिंसा पर आधारित था | गांधीजी  की सत्य के प्रति असीम आस्था थी और उन्होंने अपनी आत्मकथा "सत्य के मेरे प्रयोग" लिखी  जिसमें उनका संपूर्ण दर्शन दृष्टिगोचर होता है |





जानिये क्यों है मोदी जी विश्व प्रसिद्ध  


केवल तभी देखें जब आप हिंदू या मुस्लिम से ऊपर हैं



THANKSYOU

#ANANDPANCHAL

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