भ्रष्टाचार की सम्पूर्ण जानकारी और इसे रोकने के उपाय:-
भ्रष्टाचार क्या है ?
भ्रष्टाचार भ्रस्ट आचरण का सूचक है अर्थात जब व्यक्ति अपने कार्यों के दोरान अपना उत्तरदायित्व का इमानदारी से अर्थात नैतिकता के साथ निर्वहन नहीं करता , यही भ्रष्टाचार है | "आचार्य कौटिल्य ने कहा कि भ्रष्टाचार एक व्यापक अवधारणा है | जिस प्रकार एक मछली जल में तैरते हुए कितन पानी पि गई इसका पता कर पाना कठिन है ठीक इसी भाँती एक व्यक्ति अपने जीवन में कितना भ्रष्टाचार करता है इसका पता लगाना आसान नहीं है |
भ्रष्टाचार के प्रकार:-
वर्तमान में भ्रष्टाचार के दो प्रमुख प्रकार निम्न है | जैसे :-
1.नोकरशाही आधारित भ्रष्टाचार
2. राजनैतिक भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार क्या है ?
भ्रष्टाचार भ्रस्ट आचरण का सूचक है अर्थात जब व्यक्ति अपने कार्यों के दोरान अपना उत्तरदायित्व का इमानदारी से अर्थात नैतिकता के साथ निर्वहन नहीं करता , यही भ्रष्टाचार है | "आचार्य कौटिल्य ने कहा कि भ्रष्टाचार एक व्यापक अवधारणा है | जिस प्रकार एक मछली जल में तैरते हुए कितन पानी पि गई इसका पता कर पाना कठिन है ठीक इसी भाँती एक व्यक्ति अपने जीवन में कितना भ्रष्टाचार करता है इसका पता लगाना आसान नहीं है |
भ्रष्टाचार के प्रकार:-
वर्तमान में भ्रष्टाचार के दो प्रमुख प्रकार निम्न है | जैसे :-
1.नोकरशाही आधारित भ्रष्टाचार
2. राजनैतिक भ्रष्टाचार
प्रशासनिक भ्रष्टाचार प्रशासनिक अधिकारीयों द्वारा सरकारी योजनाओ के क्रियान्वयन के समय किया जाने वाला व्यापक भ्रष्टाचार है जबकि राजनीतिक भ्रष्टाचार के अंतर्गत राजनीतिक संस्था, राजनेताओं द्वारा किया जाने वाला भ्रस्ट आचार है |
भ्रष्टाचार के कारण:-
भ्रष्टाचार के लिए अनेक कारण उत्तरदायी है | जैसे:- पद्सोपानात्मक व्यवस्था, नियम कानूनों की अधिकता , नियमो की जटिलता , तकनिकी विशेषज्ञता , लालफीताशाही , नैतिकता का अभाव , भोतिकवादी संस्कृति को बढ़ावा , पाश्चात्य शिक्षा का , आदि के कारण भ्रष्टाचार की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है |
भ्रष्टाचार से उत्पन्न चुनोतियां:-
1.भ्रष्टाचार के कारण विकास के लक्ष्य पीछे छुट जायेंगे ,
2.शासन प्रशासन की छवि जनता की नजरों में धूमिल होगी ,
3.प्रशासन और राजनीति का अपराधीकरण बढेगा
4. लोकतंत्र को खतरा उत्पन्न होगा |
भ्रष्टाचार दुर करने हेतु उपाय:-
1.केन्द्रीय सतर्कता आयोग की स्थापना ,
2.1963 में CBI का गठन'
3.लोकायुक्त , उपलोकायुक्त पद की नियुक्ति ,
4.लोकपाल पद का गठन , आदि कारकों द्वारा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया गया |
निष्कर्ष:-
इस प्रकार भ्रष्टाचार रुपी नाग बने अपनी जहरीली पुष्कार से सम्पूर्ण समाज , सम्पूर्ण प्रशासन और राजनीती को अपनी गिरफ्त में लिया हैं , अंत: हम उसे जनजागरूकता , लोकतान्त्रिक संस्थाओं के प्रति सम्मान , भ्रष्ट अधिकारीयों के प्रति मुहीम चलाकर , नैतिक मूल्यों का प्रचार प्रसार करके , पद्सोपान को कम करके इस भ्रष्टाचार रुपी नाग को समाप्त कर सकते है और वास्तव में लोककल्याण की अवधारणा को साकार कर सकते है |
#ANANDPANCHAL
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