कुक्कुट पालन (Poultry farming):- मांस अथवा अंडे की प्राप्ति के लिए मुर्गीपालन एक बेहतर सुविधा है तथा यह रोजगार का भी एक प्रमुख साधन है इनका उत्पादन करके आय प्राप्त की जा सकती है तथा इनके मलमूत्र से खाद व कम्पोस्ट बनाया जाता है अंत: वर्तमान समय में मुर्गीपालन अथवा कुक्कुट पालन एक बेहतर व्यवसाय है जो लोगो की जिविका का महत्वपूर्ण साधन है |
मुर्गी पालन प्रदेश के गरीब व कमजोर वर्ग की आजीविका का साधन है मध्यप्रदेश में मुर्गी पालन के विकास एवं वैज्ञानिक प्रबंधन हेतु नवंबर 1982 में पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम की स्थापना भोपाल में की गई है इसका मुख्य उद्देश्य कुक्कुट उत्पादन, उपार्जन, संग्रहण एवं विपणन करना है मध्यप्रदेश में मुर्गी की 20 से 25 नस्लें आर्थिक दृष्टि से उपयुक्त व पालने योग्य मानी जाती है इनमें से कुछ देशी और कुछ विदेशी नस्लें हैं |
1 देसी नस्लें:- असील, घाघसगयक, चिटगांव, बसरा, कड़कनाथ (झाबुआ)|
2 विदेशी नस्ल:- व्हाइटलेग हॉर्न , निमोरिक , कैम्पिनेरा आदि |
➤असील भारत की सर्वोत्तम मांस वाली मुर्गे की नस्ल, जबकि कड़कनाथ मूलतः मध्यप्रदेश की मुर्गे की नस्ल है जो झाबुआ, अलीराजपुर, धार में पाई जाती है इसका रंग व मांस काला होने के कारण इसे कालामांसी भी कहा जाता है हाल ही में मध्यप्रदेश को कड़कनाथ पर जी.आई. टैग प्राप्त हुआ है इसकी देशभर में मांग रहती है |
➤व्हाइटलेग हॉर्न विश्व की सर्वाधिक अंडा उत्पादक नस्ल है इसलिए यह मुर्गी पालन की दृष्टि से सर्वाधिक उपयुक्त मानी जाती है मध्य प्रदेश की देशी मुर्गियों के अंडा उत्पादन में सुधार हेतु 10 कुक्कुट पालन परिक्षेत्र कार्यरत है देश के कुल अंडा उत्पादन में मध्यप्रदेश की भागीदारी 2.1 प्रतिशत है |
मत्स्य पालन DEPARTMENT OF FISHERIES
मछली एक जलीय जीव है तथा मछलिया जलीय पर्यावरण को सुरक्षित रखती है अंत: जहाँ मछलियाँ नहीं पायी जाती वहां का जलीय पर्यावरण स्वस्थ नहीं होता है | वैज्ञानिकों द्वारा मछली को जीवन सूचक (बायोइंडीकेटर) माना गया है। मछलियों का विस्तार नदी तालाब तथा बड़े सागरों तक रहता है |
आफेट एवं मछली पकड़ना मनुष्य की उधरपुर्ती यानी पेटपूजा एवं जीविका के लिए प्रमुख साधन रहा है प्रदेश में नदी तालाब अधिक संख्या में है जहां प्राकृतिक रूप से मछली मिलती है मध्यप्रदेश में मछली की प्रमुख नस्लें :- रोहू, कतला, मृगला, महाशीर है | इनमें कतला सर्वाधिक तीव्र वृद्धि वाली मछली है अतः मत्स्य पालन हेतु इसे उपयुक्त माना जाता है, जबकि महाशीर नर्मदा नदी में पाई जाने वाली स्वच्छ जलीय मछली है जिसे मध्य प्रदेश सरकार ने 2011 में संरक्षण प्रदान करते हुए राजकीय मछली घोषित किया है|
हमारे प्रदेश में विशाल जन संपदा है और मछली पालन कम लागत में अधिक लाभ देने वाला व्यवसाय है ग्रामीण क्षेत्रों में इसे आसानी से अपनाकर आय में वृद्धि की जा सकती है जीविका के इस प्राकृतिक साधन और पोषाहार के महत्व को ध्यान में रखकर इसे विकसित करने पर ध्यान दिया जा रहा है मध्यप्रदेश में मछली पालन के विकास एवं वैज्ञानिक प्रबंधन हेतु वर्ष 1979 में मध्यप्रदेश राज्य मत्स्य विकास निगम की स्थापना की गई| यह निगम मध्य प्रदेश के मत्स्य पालन हेतु अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्रों में मत्स्य बीज उपलब्ध कराना, मत्स्य पालन का प्रशिक्षण देना, तथा बांध एवं तालाब पट्टे पर देना आदि कार्य करता है इसके अलावा मछली पकड़ने के लिए नौकाओं का निर्माण, मछली के लिए जाल तैयार करना, एवं मछलियों का क्रय विक्रय भी निगम द्वारा किया जाता है| इस निगम के माध्यम से इंदिरा सागर बांध में जलदीप योजना (2005-06) में प्रारंभ हुई थी|
मध्यप्रदेश में मछली पालन सहकारिता पर आधारित है और प्रदेश में 2000 से अधिक मछुआरा सहकारी समितियां है जिनके माध्यम से प्रदेश में मछली पालन हो रहा है |
मुर्गी पालन प्रदेश के गरीब व कमजोर वर्ग की आजीविका का साधन है मध्यप्रदेश में मुर्गी पालन के विकास एवं वैज्ञानिक प्रबंधन हेतु नवंबर 1982 में पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम की स्थापना भोपाल में की गई है इसका मुख्य उद्देश्य कुक्कुट उत्पादन, उपार्जन, संग्रहण एवं विपणन करना है मध्यप्रदेश में मुर्गी की 20 से 25 नस्लें आर्थिक दृष्टि से उपयुक्त व पालने योग्य मानी जाती है इनमें से कुछ देशी और कुछ विदेशी नस्लें हैं |
1 देसी नस्लें:- असील, घाघसगयक, चिटगांव, बसरा, कड़कनाथ (झाबुआ)|
2 विदेशी नस्ल:- व्हाइटलेग हॉर्न , निमोरिक , कैम्पिनेरा आदि |
➤असील भारत की सर्वोत्तम मांस वाली मुर्गे की नस्ल, जबकि कड़कनाथ मूलतः मध्यप्रदेश की मुर्गे की नस्ल है जो झाबुआ, अलीराजपुर, धार में पाई जाती है इसका रंग व मांस काला होने के कारण इसे कालामांसी भी कहा जाता है हाल ही में मध्यप्रदेश को कड़कनाथ पर जी.आई. टैग प्राप्त हुआ है इसकी देशभर में मांग रहती है |
➤व्हाइटलेग हॉर्न विश्व की सर्वाधिक अंडा उत्पादक नस्ल है इसलिए यह मुर्गी पालन की दृष्टि से सर्वाधिक उपयुक्त मानी जाती है मध्य प्रदेश की देशी मुर्गियों के अंडा उत्पादन में सुधार हेतु 10 कुक्कुट पालन परिक्षेत्र कार्यरत है देश के कुल अंडा उत्पादन में मध्यप्रदेश की भागीदारी 2.1 प्रतिशत है |
मत्स्य पालन DEPARTMENT OF FISHERIES
मछली एक जलीय जीव है तथा मछलिया जलीय पर्यावरण को सुरक्षित रखती है अंत: जहाँ मछलियाँ नहीं पायी जाती वहां का जलीय पर्यावरण स्वस्थ नहीं होता है | वैज्ञानिकों द्वारा मछली को जीवन सूचक (बायोइंडीकेटर) माना गया है। मछलियों का विस्तार नदी तालाब तथा बड़े सागरों तक रहता है |
आफेट एवं मछली पकड़ना मनुष्य की उधरपुर्ती यानी पेटपूजा एवं जीविका के लिए प्रमुख साधन रहा है प्रदेश में नदी तालाब अधिक संख्या में है जहां प्राकृतिक रूप से मछली मिलती है मध्यप्रदेश में मछली की प्रमुख नस्लें :- रोहू, कतला, मृगला, महाशीर है | इनमें कतला सर्वाधिक तीव्र वृद्धि वाली मछली है अतः मत्स्य पालन हेतु इसे उपयुक्त माना जाता है, जबकि महाशीर नर्मदा नदी में पाई जाने वाली स्वच्छ जलीय मछली है जिसे मध्य प्रदेश सरकार ने 2011 में संरक्षण प्रदान करते हुए राजकीय मछली घोषित किया है|
हमारे प्रदेश में विशाल जन संपदा है और मछली पालन कम लागत में अधिक लाभ देने वाला व्यवसाय है ग्रामीण क्षेत्रों में इसे आसानी से अपनाकर आय में वृद्धि की जा सकती है जीविका के इस प्राकृतिक साधन और पोषाहार के महत्व को ध्यान में रखकर इसे विकसित करने पर ध्यान दिया जा रहा है मध्यप्रदेश में मछली पालन के विकास एवं वैज्ञानिक प्रबंधन हेतु वर्ष 1979 में मध्यप्रदेश राज्य मत्स्य विकास निगम की स्थापना की गई| यह निगम मध्य प्रदेश के मत्स्य पालन हेतु अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्रों में मत्स्य बीज उपलब्ध कराना, मत्स्य पालन का प्रशिक्षण देना, तथा बांध एवं तालाब पट्टे पर देना आदि कार्य करता है इसके अलावा मछली पकड़ने के लिए नौकाओं का निर्माण, मछली के लिए जाल तैयार करना, एवं मछलियों का क्रय विक्रय भी निगम द्वारा किया जाता है| इस निगम के माध्यम से इंदिरा सागर बांध में जलदीप योजना (2005-06) में प्रारंभ हुई थी|
मध्यप्रदेश में मछली पालन सहकारिता पर आधारित है और प्रदेश में 2000 से अधिक मछुआरा सहकारी समितियां है जिनके माध्यम से प्रदेश में मछली पालन हो रहा है |
उद्देश्य
• आर्थिक सम्पन्नता हेतु उत्तरदायी और धारणीय तरीके से समग्र मछली उत्पादन में वृद्धि करना।
• नई प्रौद्योगियों से संबंधित विशेष ध्यान सहित मात्स्यिकी को आधुनिकीकृत करना।
• खाद्य और पौष्टिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।
• रोजगार और निर्यात लाभ का सृजन करना।
• समग्र विकास सुनिश्चित करना और मछुआरों और जलकृषि किसानों को करना।
इन्हें भी पढ़ें
मध्यप्रदेश से सम्बंधित अन्य जानकारी के लिए जुड़िये हमसे
• नई प्रौद्योगियों से संबंधित विशेष ध्यान सहित मात्स्यिकी को आधुनिकीकृत करना।
• खाद्य और पौष्टिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।
• रोजगार और निर्यात लाभ का सृजन करना।
• समग्र विकास सुनिश्चित करना और मछुआरों और जलकृषि किसानों को करना।
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