भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका CASE STUDY.

भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका
भारत में धर्म और राजनीति एक दूसरे के संदर्भ में विरोधाभासी स्थिति में रहते हैं लोकतांत्रिक व्यवस्था में धर्मनिरपेक्षता से आभास यह होता है कि राजनीति व धर्म का प्रथक्करण है । धर्म और राजनीति एक दूसरे से अलग अलग रहते हैं परंतु व्यवहार में यह होता नहीं है धर्म राजनीति को प्रभावित करता है तथा राजनीति धर्म को प्रभावित करती है ।


हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से देख सकते हैं कि धर्म राजनीति को कैसे प्रभावित करता है ।
➠धर्म के आधार पर राजनीतिक दल मत समर्थन हेतु वोट बैंक बनाते हैं ।
➠धर्म के आधार पर भारत में आरक्षण व्यापक स्तर पर देखने को मिलता है ।
➠भारत में मंदिर मस्जिद व अन्य धार्मिक संस्थाएं राजनीतिक अभियानों का बड़ा माध्यम बनते जा रहे हैं। 

➠राजनीतिक दल चुनावी टिकटो मंत्री पद तथा अन्य सुविधाएं प्रदान करते समय धर्म के तत्व की अनदेखी चाहते हुए भी नहीं कर पा रहे हैं ।
➠धर्म के माध्यम से मतदाताओं का संग्रहण लगभग सभी दलों द्वारा किया जा रहा है ।
➠राजनीतिक दल धर्म को चुनाव जीतने का एक सफल कारक समझते हैं  तथा धर्म के माध्यम से राजनीति को प्रभावित करने में अनेकों अनेक झूठे वादे गड़ देते हैं ।  

हम वर्तमान परिदृश्य में यह बातें हैं कि धर्मनिरपेक्षता के सभी प्रावधानों के बावजूद राजनीतिक दल चुनाव में धर्म रूपी तत्व का प्रयोग करते हैं तथा निर्वाचन आयोग के निर्देशों का उल्लंघन करके चुनावी अभियान में धर्म का दुरुपयोग करते हैं

भारत एक और विविधता वाला देश है तथा यहां अनेक प्रकार के धर्म देखने को मिलते हैं सामान्यतः भारतीय लोग धर्म को अधिक वरीयता देते हैं तथा कुछ कट्टरपंथी तो अपने धर्म के लिए मरना मिटना तक पसंद करते हैं और इसी का फायदा राजनीतिक नेताओं द्वारा भोली भाली जनता से उठाया जाता है। वर्तमान में राजनीतिक नेताओं द्वारा किसी धर्म विशेष को लेकर या उसके प्रसारण को लेकर नागरिकों में कई प्रकार की भ्रांतियां पैदा की जाती है तथा राजनीति को वोट बैंक बनाने के लिए अक्सर राजनेता धर्मो को बीच में लेकर राजनीतिक स्वार्थ चाहते हैं । सामान्यतः भारती लोग अपने धर्म संरक्षण के लिए उस राजनेता को चुन लेते हैं जिसने उनके धर्म को संरक्षित करने का जिम्मा उठाया तथा पूरी राजनीति धर्म में ठहर कर रह जाती है जिससे देश में विकास विलुप्त हो जाता है ।
आज हमारे देश के समक्ष यह एक बहुत बड़ी समस्या है कई लोग आज भी धर्म के आधार पर राजनेता का चयन करते हैं जोकि गलत है हमें राजनेता का चयन उसके भूतपूर्व कार्यों को यह वर्तमान परिस्थिति को देखकर करना चाहिए 



धर्म और जाति के मध्य टकराव को लेकर मित्रों आपके क्या सुझाव है हमारे साथ कमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें ।



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